नमस्कार दोस्तों ! आज हम आपको इस पोस्ट में गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित शिवपुराण पीडीएफ (Shiv Puran In Hindi PDF) देने वाले हैं। हिन्दू धर्म के अट्ठारह पुराणों में से सबसे अधिक बार पढ़े जाने वाले पुराणों में से एक शिव पुराण है। शिव पुराण भगवान शिव जी और माता पार्वती जी के आस पास केन्द्रित है। इस शिव पुराण (Shiv Puran) में उपदेश स्वयं भगवान शिव जी द्वारा ही दिए गए हैं। भगवान शिव जी ने कलयुगी जीवों पर दया करके और उन्हें सही मार्ग पर अग्रसर करने के लिए ही इसके उपदेश स्वयं दिए हैं।
शिव पुराण (Shiv Puran) पढ़ने से जिस फल की प्राप्ति होती है उसे जिव्हा से बयां कर पाना संभव नहीं है। शिव पुराण पढ़ने से व्यक्ति की सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं, सभी प्रकार के कष्ट मिट जाते हैं, उनके पापों का नाश हो जाता है तथा उस व्यक्ति को अपने जीवन के अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए आपको भी शिव पुराण (Shiv Puran) का पाठ अवश्य करना चाहिए।
गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित शिव पुराण पीडीएफ (Shiv Puran In Hindi PDF) का लिंक पोस्ट में नीचे दिया गया है। जहां से आप शिव पुराण पीडीएफ (Shiv Puran In Hindi PDF) आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।
शिव पुराण कथा का सारांश
शिव पुराण हिंदू धर्म के सभी पुराणों में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण और सबसे अधिक पढ़े जाने वाले पुराणों में से एक है। इस पुराण में भगवान शिव जी के विविध रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का बहुत ही सुंदर और सरस वर्णन किया गया है। इसमें भगवान शिव जी के कल्याणकारी स्वरूप के तात्त्विक विवेचन का, रहस्य का, महिमा का और उपासना का बहुत ही विस्तृत रूप से वर्णन है।
शिव पुराण में भगवान शिव जी को पंचदेवों में प्रधान अनादि सिद्ध परमेश्वर माना गया है। इस पुराण में शिव-महिमा और उनकी लीला-कथाओं के अतिरिक्त पूजा-पाठ की विधि, अनेक ज्ञान देने वाले आख्यान और शिक्षा देने वाली कथाओं का संयोजन बहुत ही सुंदर तरीके से किया गया है। इसमें भगवान शिव जी के विशाल और भव्य व्यक्तित्व का गुणगान किया गया है।
‘शिव पुराण’ का सम्बन्ध शैव मत से मानते हैं। शिव पुराण में मुख्य रूप से भगवान शिव जी की भक्ति और महिमा का ही प्रचार और प्रसार किया गया है। भगवान शिव जी को प्रायः सभी पुराणों में त्याग, तपस्या, वात्सल्य तथा करुणा की एक निष्ठामूर्ति बताया गया है और कहा गया है कि भगवान शिव जी सहज ही प्रसन्न हो जाते हैं और मनचाहा फल दे देते हैं। परंतु ‘शिव पुराण’ में उनके रहन-सहन, विवाह और उनके पुत्रों की उत्पत्ति के विषय में बताया गया है और भगवान शिव जी के जीवन चरित्र पर विशेष रूप से प्रकाश डाला गया है।
शिव पुराण में 24,000 श्लोक है तथा इसके क्रमश: 7 खण्ड (संहिता) हैं, जो निम्नलिखित हैं :-
- विद्येश्वर संहिता
- रुद्र संहिता
- शतरुद्री संहिता
- उमा संहिता
- कोटिरुद्र संहिता
- कैलास संहिता
- वायु संहिता
Shiv Puran In Hindi PDF Download Free
पुस्तक का नाम / Name of Book |
शिव पुराण / Shiv Puran |
पुस्तक के लेखक / Author of Book |
महर्षि वेदव्यास / Maharishi Vedvyas |
पुस्तक की भाषा / Language of Book |
हिंदी / Hindi |
फाइल प्रारूप / File Format |
पीडीएफ / PDF |
पुस्तक का आकार / Size of Ebook |
65 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ / Total pages in E-book |
838 पृष्ठ |
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निष्कर्ष :- आशा करता हूँ कि इस पोस्ट में दी गई शिवपुराण पीडीएफ (Shiv Puran In Hindi PDF) आपको पसंद आई होगी और आपको पढ़ने में भी अच्छी लगी होगी। इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे। यदि पोस्ट में दी गई शिवपुराण पीडीएफ (Shiv Puran In Hindi PDF) डाउनलोड नहीं हो रही है या डाउनलोड लिंक सही तरीके से काम नहीं कर रहा है तो आप कमेंट कर हमें बता सकते हैं और यदि आपको किसी और पीडीएफ की भी जरूरत है तो भी आप हमें कमेंट कर या कांटेक्ट पेज (Contact Page) की मदद से बता सकते हैं।
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Shiv Puran In Hindi PDF FAQs
Q : शिव पुराण की रचयिता कौन है?
Ans : शिव पुराण (Shiv Puran) के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी हैं। इसमें भगवान शिव जी के विविध रूपों, अवतारों और ज्योतिलिंर्गों के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है।
Q : शिव पुराण में क्या लिखा है?
Ans : शिव पुराण (Shiv Puran) हिंदू धर्म के सभी पुराणों में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण और सबसे अधिक पढ़े जाने वाले पुराणों में से एक है। शिव पुराण में मुख्य रूप से शिव की भक्ति और महिमा का ही प्रचार और प्रसार किया गया है। इस पुराण में भगवान शिव जी के विविध रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का बहुत ही सुंदर और सरस वर्णन किया गया है।
Q : शिव पुराण कब पढ़ना चाहिए?
Ans : भगवान शिव जी को श्रावण मास बहुत ही प्रिय है इसलिए श्रावण मास में शिव पुराण का पाठ करना अधिक फलदायी होता है। इसके अतिरिक्त अगर आप कभी शिव पुराण का पाठ करना चाहते हैं तो आप इसका किसी भी सोमवार से पाठ करना शुरू कर सकते हैं।
Q : शिव पुराण कैसे पढ़े?
Ans : शिव पुराण (Shiv Puran) का पाठ करते समय निम्नलिखित बातों का विशेष रूप से ध्यान रखें :-
- अपने तन और मन को शिव पुराण को पढ़ने या सुनने से पहले शुद्ध कर लें।
- शिव पुराण का पाठ करते समय नए और साफ सुथरे वस्त्र पहनें।
- भगवान शिव के प्रति अपने मन में श्रद्धा रखें।
- किसी के प्रति शिव पुराण का पाठ करते समय द्वेष भाव न रखें।
- शिव पुराण का पाठ करते समय किसी की भी निंदा अथवा चुगली न करें।
Q : शिव पुराण का मूल मंत्र क्या है?
Ans : शिव पुराण (Shiv Puran) का मूल मंत्र निम्नलिखित है :-
ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टि वर्धनम्। ऊर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
शिव पुराण (Shiv Puran) में इस मूल मंत्र का बड़ा ही सुंदर वर्णन है। ऋग्वेद एवं यजुर्वेद में पाया जाने वाला यह मंत्र बहुत ही शक्तिशाली ‘महामृत्युंजय मंत्र कहलाता है।
Q : शिव पुराण पढ़ने से क्या लाभ है?
Ans : शिव पुराण (Shiv Puran) पढ़ने से व्यक्ति की सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, उनके सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं, उनके पापों का नाश हो जाता है तथा उस व्यक्ति को अपने जीवन के अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Q : क्या गर्भवती महिला शिव पुराण पढ़ सकती है?
Ans : हाँ, गर्भवती महिला शिव पुराण (Shiv Puran) पढ़ सकती है। प्राचीन समय के अनुसार, अगर गर्भावस्था के दौरान महिलाएं भगवान शिव जी की पूजा करती हैं या शिव पुराण का पाठ करती हैं, तो भगवान शिव जी गर्भ में उनके बच्चे की रक्षा करते हैं और उन्हें एक स्वस्थ और बुद्धिमान बच्चे का आशीर्वाद भी देते हैं।
Q : शिव पुराण कौन पढ़ सकता है?
Ans : शिव पुराण (Shiv Puran) का पाठ आयु, लिंग, जाति-धर्म आदि की चिंता किए बिना कोई भी व्यक्ति कर सकता है और इसका लाभ पा सकता है।
Q : शिव पुराण पढ़ने के बाद क्या करना चाहिए?
Ans : शिव पुराण (Shiv Puran) की कथा सुनने वाले व्यक्ति को उस समय अवधि तक ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करना चाहिए जब तक कि कथा का समापन नहीं हो जाए। हर दिन शिव पुराण की कथा आरंभ और समाप्त होने पर शिव पुराण की पूजा करनी चाहिए और अगर किसी पंडित से पाठ करवा रहे हों तो उसे प्रणाम करके दान दक्षिणा देना चाहिए।