नमस्कार दोस्तों ! आज हम अपनी इस पोस्ट में आपको गरुड़ पुराण पीडीएफ (Garun Puran PDF) देने वाले हैं। गरुड़ पुराण (Garun Puran) वैष्णव सम्प्रदाय से सम्बन्धित है। सनातन (हिन्दू) धर्म में व्यक्ति की मृत्यु हो जाने के बाद गरुड़ पुराण सुनने का प्रावधान है। भगवान विष्णु जी इस महापुराण के अधिष्ठातृ देव हैं।
इस पुराण में वैराग्य, ज्ञान, भक्ति, सदाचार और निष्काम कर्म की महिमा के साथ-साथ इसमें दान, यज्ञ, तप आदि शुभ कार्यों की ओर जन साधारण को अग्रसर करने के लिये अनगिनत लौकिक और पारलौकिक फलों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। इसके साथ-साथ ही इस पुराण में नीतिसार, आयुर्वेद आदि विषयों के साथ मृत जीव के जीवन के अन्तिम समय में उसके द्वारा किये जाने वाले कर्मों का विस्तारपूर्वक निरूपण किया गया है।
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गरुड़ पुराण क्या है (Garun Puran Kya Hai)
गरुड़ पुराण (Garun Puran) 18 प्रमुख महापुराणों में से एक है। भगवान विष्णु जी इस महापुराण के अधिष्ठातृदेव है। अतः इसे वैष्णव पुराण के नाम से भी जाना जाता है। इस गरूड़ पुराण में श्रीमद्भागवत गीता के भांति ही भगवान विष्णु जी के चौबीस अवतारों और विष्णु-भक्ति का बहुत ही सुंदर और विस्तारपूर्वक वर्णन मिलता है।
इस पुराण के प्रारम्भ में मनु से सृष्टि की उत्पत्ति, ध्रुव-चरित्र और बारह आदित्यों की कथा का वर्णन किया गया है। उसके बाद इसमें सूर्य और चन्द्र ग्रहों के मंत्र, इन्द्र से सम्बन्धित मंत्र, शिव-पार्वती मंत्र, सरस्वती के मंत्र और नौ शक्तियों के विषय में विस्तारपूर्वक वर्णन है। इसके अलावा इसमें मुक्ति के उपायों, श्राद्ध-तर्पण तथा जीव की गति के विषय का भी विस्तृत वर्णन मिलता है। कहा जाता है कि गरुड़ पुराण (Garun Puran) में कुल 19000 श्लोक हैं। परंतु वर्तमान समय में उपलब्ध पाण्डुलिपियों में लगभग 8000 श्लोक ही मिलते हैं।
गरुड़ पुराण (Garun Puran) के दो भाग हैं, जो निम्नलिखित हैं :-
पूर्वखण्ड :- पूर्वखण्ड में कुल 229 अध्याय हैं किंतु कुछ पाण्डुलिपियों में तो 240 से लेकर 243 तक अध्याय मिलते हैं। पूर्वखंड गरुण पुराण का लगभग 90 प्रतिशत सामग्री रखता है। इस खण्ड में भगवान विष्णु जी की भक्ति और उनकी उपासना की विधियों का वर्णन है। गरुड़ पुराण (Garun Puran) के इस खण्ड में विभिन्न प्रकार के विषयों का वर्णन किया गया है। यह विषय जीव और उनके जीवन से सम्बन्धित होते हैं।
उत्तरखण्ड :- अलग-अलग पाण्डुलिपियों में उत्तरखंड में कुल अध्यायों की सख्या 34 से लेकर 49 तक मानी जाती है। इस खण्ड को प्रायः ‘प्रेतखण्ड’ या ‘प्रेतकल्प’ के नाम से भी जाना जाता है। उत्तरखंड में गरुड़ पुराण की मात्र 10 प्रतिशत सामग्री ही मिलती है। इस खण्ड में मुख्यतः मृत्यु के पश्चात जीव की गति एवं उसके द्वारा किए गए कर्मकाण्डों का वर्णन किया गया है।
इसमें व्यक्ति के मरने के बाद उसकी गति क्या होती है, प्रेत योनि से मुक्ति कैसे पाई जा सकती है, श्राद्ध और पितृ कर्म किस प्रकार करने चाहिए, किस प्रकार की योनियों में उसका जन्म होता है, तथा नरकों के दुख से मोक्ष कैसे प्राप्त किया जा सकता है आदि के बारे में विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है।
गरुड़ पुराण (Garun Puran) के अनुसार, किसी मनुष्य की मृत्यु हो जाने के 13 दिन बाद यमलोक की यात्रा के मार्ग में उस मनुष्य की आत्मा को तीन मार्ग मिलते हैं – स्वर्ग लोक, नर्क लोक और पितृ लोक l उस मनुष्य द्वारा उसके जीवन काल में किए गए कर्मों के आधार पर उसकी आत्मा को इन तीन मार्गों में से किसी एक लोक में स्थान प्राप्त होता है। यदि वह मनुष्य अपने संपूर्ण जीवन काल में केवल धर्म और अध्यात्म के मार्ग पर चला है और सदैव सुकर्म करे तो उसकी आत्मा को स्वर्ग लोक अर्थात् देवलोक की प्राप्ति होती है।
इस पुराण के अनुसार, यदि कोई मनुष्य किसी दूसरे के पैसे लूटता है या धोखाधड़ी करता है तो यमदूत द्वारा उस मनुष्य को रस्सी से बांधकर पीटते हुए नरक ले जाया जाता है और उसे तब तक पीटा जाता है जब तक कि वह मनुष्य बेहोश नहीं हो जाए। जो मनुष्य अपने माता-पिता और भाई-बहन को मारता-पीटता है, उन्हें प्रताड़ित करता है उस मनुष्य की जन्म लेने से पूर्व ही गर्भ में मृत्यु हो जाती है।
जो मनुष्य अपने गुरु का अपमान करता है उसके लिए नरक का द्वार खोला जाता है और ऐसा मनुष्य अपने अगले जन्म में ब्रह्मराक्षस बन एक जल रहित वन में जन्म लेता है। इस प्रकार गरुड़ पुराण (Garun Puran) में मनुष्यों के पापों के आधार पर उनकी सजा तय की गई हैं।
गरुड़ पुराण की रचना कैसे हुई (Garun Puran Rachna Kaise Hui)
एक बार महर्षि कश्यप के पुत्र गरुड़ (जिन्हें भगवान विष्णु जी का वाहन भी कहा गया है) ने भगवान विष्णु जी से मनुष्य की मृत्यु के बाद जीव की गति, यमलोक-यात्रा, उनके विभिन्न कर्मों के फलस्वरूप प्राप्त नरकों, योनियों तथा पाप करने वालों की दुर्दशा से संबंधित अनेक विषय पर अनेक गूढ़ एवं रहस्य से युक्त प्रश्न पूछे। भगवान विष्णु जी ने गरुड़ की जिज्ञासा को शान्त करते हुए उस समय गरुड़ को जो उपदेश दिए थे, गरुड़ पुराण (Garun Puran) में इन उपदेशों का ही विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है।
गरुड़ के द्वारा ही भगवान विष्णु जी के मुख से मनुष्य की मृत्यु के बाद के गूढ़ रहस्य तथा अत्यंत परम कल्याणकारी वचन प्रकट हुए थे, इसलिए इस महापुराण को गरुड़ पुराण (Garun Puran) के नाम से जाना जाने लगा। भगवान विष्णु जी द्वारा प्रदत्त यह पुराण मुख्यतः वैष्णव पुराण भी कहलाता है। गरुड़ पुराण को ‘मुख्य गारुड़ी विद्या’ भी कहा जाता है।
गरुड़ पुराण (Garun Puran) का ज्ञान सबसे पहले भगवान ब्रह्मा जी द्वारा महर्षि वेद व्यास जी को दिया गया था। उसके बाद महर्षि व्यास जी ने अपने शिष्य सूत जी को इस ज्ञान को प्रदान किया तथा सूत जी ने नैमिषारण्य में शौनकादि ऋषि-मुनियों को गरुड़ पुराण (Garun Puran) का ज्ञान प्रदान किया था।
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पुस्तक का नाम / Name of Book |
गरुड़ पुराण / Garun Puran |
पुस्तक की भाषा / Language of Book |
संस्कृत और हिंदी / Sanskrit And Hindi |
फाइल प्रारूप / File Format |
पीडीएफ / PDF |
पुस्तक का आकार / Size of E-book |
2.5 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ / Total pages in E-book |
275 पृष्ठ |
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निष्कर्ष :- गरुड़ पुराण (Garun Puran) 18 प्रमुख पुराणों में से एक है। इसमें भगवान विष्णु जी ने महर्षि कश्यप के पुत्र गरुड़ को मनुष्य की मृत्यु के बाद जीव की गति, यमलोक-यात्रा, उनके विभिन्न कर्मों के फलस्वरूप प्राप्त लोकों, योनियों तथा पाप करने वालों की दुर्दशा से संबंधित अनेक विषयों पर अनेक गूढ़ प्रश्नों एवं रहस्यों के बारे में विस्तारपूर्वक से बताया है।
आशा है कि आपको गरुड़ पुराण पीडीएफ (Garun Puran PDF) पसंद आई होगी। यदि गरुड़ पुराण पीडीएफ (Garun Puran PDF) का डाउनलोड लिंक काम नहीं कर रहा है या आपको गरुड़ पुराण पीडीएफ (Garun Puran PDF) डाउनलोड करने में कोई और परेशानी आ रही है तो आप कमेंट कर हमें बता सकते हैं। साथ ही अगर आपको अन्य किसी पीडीएफ की भी जरूरत है तो भी आप हैं कमेंट कर या कॉन्टैक्ट पेज के माध्यम से बता सकते हैं।
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FAQs : Frequently Asked Questions
Q : गरुड़ पुराण का रहस्य क्या है?
Ans : गरुड़ पुराण (Garun Puran) में मनुष्य की मृत्यु के बाद जीव की गति, यमलोक-यात्रा, उनके विभिन्न कर्मों के फलस्वरूप प्राप्त नरकों, योनियों तथा पाप करने वालों की दुर्दशा से संबंधित अनेक विषयों पर अनेक गूढ़ प्रश्नों एवं रहस्यों का वर्णन किया गया है।
Q : गरुड़ पुराण कौन पढ़ सकता है?
Ans : हिंदू धर्म में गरुड़ पुराण (Garun Puran) का पाठ घर में किसी परिजन की मृत्यु के बाद कराया जाता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि घर में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर 13 दिनों तक घर में गरुड़ पुराण (Garun Puran) का पाठ कराने से उस मृतक की आत्मा को मोक्ष की प्राप्त होती है। लेकिन गरुड़ पुराण (Garun Puran) का पाठ घर में किसी परिजन की मृत्यु के पहले या बाद में कभी भी कराया जा सकता है।
Q : गरुड़ पुराण में क्या लिखा है?
Ans : गरुड़ पुराण (Garun Puran) के प्रारम्भ में मनु से सृष्टि की उत्पत्ति, ध्रुव-चरित्र और बारह आदित्यों की कथा का वर्णन किया गया है। उसके बाद इसमें सूर्य और चन्द्र ग्रहों के मंत्र, इन्द्र से सम्बन्धित मंत्र, शिव-पार्वती मंत्र, सरस्वती के मंत्र और नौ शक्तियों के विषय में विस्तारपूर्वक वर्णन है। इसके अलावा इसमें मुक्ति के उपायों, श्राद्ध-तर्पण तथा जीव की गति के विषय का भी विस्तृत वर्णन मिलता है।
Q : गरुड़ पुराण के अनुसार पाप क्या है?
Ans : गरुड़ पुराण (Garun Puran) के अनुसार, यदि कोई मनुष्य किसी दूसरे के पैसे लूटता है या धोखाधड़ी करता है तो यमदूत द्वारा उस मनुष्य को रस्सी से बांधकर पीटते हुए नरक ले जाया जाता है और उसे तब तक पीटा जाता है जब तक कि वह मनुष्य बेहोश नहीं हो जाए। जो मनुष्य अपने माता-पिता और भाई-बहन को मारता-पीटता है, उन्हें प्रताड़ित करता है उस मनुष्य की जन्म लेने से पूर्व ही गर्भ में मृत्यु हो जाती है। इस प्रकार गरुड़ पुराण (Garun Puran) में मनुष्यों के पापों के आधार पर उनकी सजा तय की गई हैं।
Q : क्या मैं गरुड़ पुराण घर पर रख सकता हूं?
Ans : हाँ, आप गरुड़ पुराण (Garun Puran) को घर पर रख सकते हैं और उसका पाठ कर सकते हैं।
Q : गरुड़ पुराण का पाठ कितने दिन का होता है?
Ans : माना जाता है कि घर में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर उस व्यक्ति की आत्मा 13 दिनों तक उस घर में रहती है और उसमें भूख, प्यास, द्वेष, क्रोध और मोह आदि भाव रह जाते हैं। अतः घर में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर 13 दिनों तक घर में गरुड़ पुराण (Garun Puran) का पाठ कराया जाता है। जिससे उस व्यक्ति की आत्मा को शांति मिले, वह भूख, प्यास, द्वेष, क्रोध और मोह आदि भाव त्याग दे और उसे मोक्ष की प्राप्ति हो।
Q : गरुड़ पुराण किसने लिखा था?
Ans : गरुड़ पुराण (Garun Puran) की रचना महर्षि वेद व्यास जी ने की थी।
Q : गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद क्या होता है?
Ans : गरुड़ पुराण (Garun Puran) के अनुसार, किसी मनुष्य की मृत्यु हो जाने के 13 दिन बाद यमलोक की यात्रा के मार्ग में उस मनुष्य की आत्मा को तीन मार्ग मिलते हैं – स्वर्ग लोक, नर्क लोक और पितृ लोक l उस मनुष्य द्वारा उसके जीवन काल में किए गए कर्मों के आधार पर उसकी आत्मा को इन तीन मार्गों में से किसी एक लोक में स्थान प्राप्त होता है। यदि वह मनुष्य अपने संपूर्ण जीवन काल में केवल धर्म और अध्यात्म के मार्ग पर चला है और सदैव सुकर्म करे तो उसकी आत्मा को स्वर्ग लोक अर्थात् देवलोक की प्राप्ति होती है।