नमस्कार दोस्तों ! आज हम आपके लिए अपनी इस पोस्ट में कनकधारा स्तोत्र पीडीएफ (Kanakadhara Stotram PDF) लेकर आए हैं। कनकधारा स्तोत्र में आदि गुरु शंकराचार्य ने मां महालक्ष्मी जी की स्तुति की है। इस स्तोत्र का पाठ करने से महालक्ष्मी की कृपा उस पाठ करने वाले व्यक्ति और उसके परिवार पर सदा बनी रहती है। इसका पाठ करने से व्यक्ति के जीवन की दरिद्रता आदि सभी दुःख दूर हो जाते हैं। महालक्ष्मी की कृपा हो जाने से उस व्यक्ति के घर में सदा सुख-शांति बनी रहती है, धन-धान्य की पूर्ति होती है और पुत्र-दायित्व आदि अनेक सुखों की भी प्राप्ति होती है।
इस पोस्ट में आपको कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram) के बारे में विस्तार से बताया गया है और अंत में कनकधारा स्तोत्र पीडीएफ (Kanakadhara Stotram PDF) का डाउनलोड लिंक भी दिया गया है, इसलिए आप इस पोस्ट को अंत तक ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें।
कनकधारा स्तोत्र क्या है (Kanakadhara Stotram Kya Hai)
कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram) महालक्ष्मी जी को प्रसन्न करने वाला एक चमत्कारिक स्तोत्र है। इसकी रचना भगवान शिव जी के अंशावतार आदि गुरु शंकराचार्य जी ने की थी। कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram) के माध्यम से आदि गुरु शंकराचार्य जी ने महालक्ष्मी जी की स्तुति की है। इस स्तोत्र में कुल 21 श्लोक हैं।
कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram) का नियमित पाठ करने से महालक्ष्मी शीघ्र ही प्रसन्न हो जाती हैं और अपनी असीम कृपा बरसाती हैं। इसके पाठ से मनुष्य की दरिद्रता, दुःख, दर्द आदि सभी नष्ट हो जाते हैं और उस मनुष्य के घर में सदा सुख-शांति बनी रहती है और धन-धान्य की पूर्ति होती है। इसके साथ ही कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram) का पाठ करने से संतानहीन को पुत्र-दायित्व की प्राप्ति होती है।
कनकधारा स्तोत्र की रचना कैसे हुई (Kanakadhara Stotram Ki Rachna Kaise Hui)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार आदि गुरु शंकराचार्य जी भिक्षा मांगते हुए एक बूढ़ी और निर्धन महिला के घर पर पहुंचे। अपने घर इतने श्रेष्ठ और तेजस्वी संन्यासी को देखकर वह बूढ़ी महिला बहुत प्रसन्न हुई और चिंता में पड़ गई क्योंकि वह बहुत ही निर्धन थी और उसके पास भिक्षा में देने के लिए कुछ भी नहीं था। वह बूढ़ी महिला व्याकुलता से अपने पूरे घर में खाने का सामान ढूंढने लगी ताकि वह आदि गुरु शंकराचार्य जी को भिक्षा में कुछ दे सकें।
वह जानती थीं कि एक संन्यासी केवल तीन घर जाकर ही भिक्षा मांगता है और यदि उसे इन तीन घरों से भिक्षा में कुल भी खाने को न मिले तो उस संन्यासी को उस दिन भूखा ही रहना पड़ता है। उस बूढ़ी महिला को इस बात का भय था कि कहीं यह आदि गुरु शंकराचार्य जी का तीसरा घर ही न हो। बहुत ढूंढने पर उस बूढ़ी महिला को घर में कुछ सूखे आंवला के फल मिले। उस बूढ़ी महिला ने दुखी होते हुए उन फलों को आदि गुरु शंकराचार्य जी को भिक्षा में दे दिया और उनसे क्षमा मांगते हुए कहा कि उनके पास भिक्षा में देने के लिए और कुछ भी नहीं है।
उस बूढ़ी महिला के भक्ति भाव और दरिद्रता को देखकर आदि गुरु शंकराचार्य जी को उस पर दया आ गई और उन्होंने 21 श्लोक गाते हुए महालक्ष्मी जी की स्तुति की। इन श्लोकों की सुंदरता से महालक्ष्मी जी इतना प्रसन्न हुई कि उन्होंने उस बूढ़ी महिला के घर में सोने के आंवलों की वर्षा करनी आरंभ कर दी। तब से ही सोने की धारा अर्थात् कनकधारा के कारण इस स्तोत्र को कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram) के नाम से जाना गया।
कनकधारा स्तोत्र का पाठ कैसे करें (Kanakadhara Stotram Ka Path Kaise Karen)
किसी भी स्तोत्र आदि का नियमपूर्वक पाठ करने से उसके अधिक लाभ मिलते हैं। कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram) का पाठ करने की विधि निम्नलिखित है :-
- कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram) का पाठ करने के लिए सबसे पहले स्नानादि कार्य करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। सफेद वस्त्र धारण करना अधिक लाभदायक होता है।
- इसके बाद भगवान विष्णु जी और देवी लक्ष्मी जी की मूर्ति या तस्वीर के सामने एक स्वच्छ आसन पर बैठ जाएं। कनकधारा यंत्र का प्रयोग करना अधिक शुभ होता है और इसके समक्ष बैठकर पाठ करने से 100 गुना अधिक फल मिलता है। यह यंत्र आपको बाजार में मिल जाएगा।
- अब आपको फूल आदि महालक्ष्मी जी के चरणों में अर्पित करने हैं।
- इसके बाद आपको घी का दीप आदि जलाकर कनकधारा स्तोत्र का पाठ आरंभ कर देना है।
- कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram) का पाठ शुक्रवार, पूर्णिमा के दिन, दिवाली और नियमित रूप से करना और अधिक फलदायी होता है।
- अंत में आपको किसी सफेद वस्तु का प्रसाद के रूप में वितरण करना है।
कनकधारा स्तोत्र पीडीएफ हिंदी अनुवाद सहित (Kanakadhara Stotram PDF Download Free)
कनकधारा स्तोत्र पीडीएफ (Kanakadhara Stotram PDF) डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए डाउनलोड पर क्लिक करें :-
पुस्तक का नाम / Name of Book |
कनकधारा स्तोत्र / Kanakadhara Stotram |
पुस्तक के लेखक / Author of Book |
आदि गुरु शंकराचार्य / Adi Guru Shankaracharya |
पुस्तक की भाषा / Language of Book |
संस्कृत और हिंदी / Sanskrit And Hindi |
फाइल प्रारूप / File Format |
पीडीएफ / PDF |
पुस्तक का आकार / Size of E-book |
767 KB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ / Total pages in E-book |
11 पृष्ठ |
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निष्कर्ष :- कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram) महालक्ष्मी जी को प्रसन्न करने वाला एक चमत्कारिक स्तोत्र है। इस स्तोत्र की रचना भगवान शिव जी के अंशावतार आदि गुरु शंकराचार्य जी ने की थी। इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के घर में सदा सुख-शांति बनी रहती है, धन-धान्य की पूर्ति होती है और पुत्र-दायित्व आदि अनेक सुखों की भी प्राप्ति होती है।
यदि पोस्ट में दिया गया कनकधारा स्तोत्र पीडीएफ (Kanakadhara Stotram PDF) का डाउनलोड लिंक ठीक प्रकार काम नहीं कर रहा है या आपको कनकधारा स्तोत्र पीडीएफ (Kanakadhara Stotram PDF) डाउनलोड करने में कोई और परेशानी आ रही है तो आप कमेंट कर अपनी परेशानी बता सकते हैं।
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FAQs : Frequently Asked Questions
Q : कनकधारा स्तोत्रम के लेखक कौन है?
Ans : कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram) महालक्ष्मी जी को प्रसन्न करने वाला एक चमत्कारिक स्तोत्र है। इसकी रचना भगवान शिव जी के अंशावतार आदि गुरु शंकराचार्य जी ने की थी।
Q : कनकधारा स्त्रोत में कितने श्लोक होते हैं?
Ans : भगवान शिव जी के अंशावतार आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram) में कुल 21 श्लोक हैं।
Q : कनकधारा स्तोत्रम का जाप क्यों करें?
Ans : कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram) का नियमित जाप करने से महालक्ष्मी शीघ्र ही प्रसन्न हो जाती हैं और अपनी असीम कृपा बरसाती हैं। इसके जाप से मनुष्य की दरिद्रता, दुःख, दर्द आदि सभी नष्ट हो जाते हैं और उस मनुष्य के घर में सदा सुख-शांति बनी रहती है और धन-धान्य की पूर्ति होती है। इसके साथ ही कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram) का पाठ करने से संतानहीन को पुत्र-दायित्व की प्राप्ति होती है।
Q : कनकधारा स्तोत्रम के पीछे की कहानी क्या है?
Ans : पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार आदि गुरु शंकराचार्य जी भिक्षा मांगते हुए एक बूढ़ी और निर्धन महिला के घर पहुंचे। उस बूढ़ी महिला ने क्षमा मांगते हुए उन्हें कुछ सूखे हुए आंवले के फल दिए। शंकराचार्य जी को उस बूढ़ी महिला पर दया आ गई। उन्होंने उसी समय महालक्ष्मी जी की 21 श्लोकों के माध्यम स्तुति की, जिससे प्रसन्न होकर महालक्ष्मी जी ने उस बूढ़ी महिला के घर में सोने के आंवलों की वर्षा आरंभ कर दी।
तभी से इस स्तोत्र को कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram) के नाम से जाना जाने लगा।
Q : कनकधारा स्तोत्रम का प्रभाव क्या है?
Ans : कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram) का पाठ करने से महालक्ष्मी की कृपा उस पाठ करने वाले व्यक्ति और उसके परिवार पर सदा बनी रहती है। इस स्तोत्र के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन की दरिद्रता आदि सभी दुःख दूर हो जाते हैं। महालक्ष्मी की कृपा हो जाने से उस व्यक्ति के घर में सदा सुख-शांति बनी रहती है, धन-धान्य की पूर्ति होती है और पुत्र-दायित्व आदि अनेक सुखों की भी प्राप्ति होती है।
Q : कनकधारा यंत्र कहां लगाएं?
Ans : कनकधारा यंत्र को अपने घर के मंदिर में रखना अति उत्तम होता है। आप इस यंत्र को कैश बॉक्स और अलमारी में भी रख सकते हैं।
Q : कनकधारा स्तोत्रम का जाप कब करना चाहिए?
Ans : कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram) का पाठ शुक्रवार, पूर्णिमा के दिन, दिवाली और नियमित रूप से सुबह और शाम में करना अधिक फलदायी होता है।