Hanuman Bajrang Baan PDF Download | हनुमान बजरंग बाण पाठ करने की विधि, नियम और फायदे
नमस्कार दोस्तों ! हनुमान जी भगवान श्री राम जी के परम भक्त हैं। यदि आप भगवान श्री राम जी को प्रसन्न कर लें तो आप हनुमान जी की कृपा भी प्राप्त करते हैं। आज हम आपको Hanuman Bajrang Baan PDF Download करने का लिंक अपनी इस पोस्ट में देने वाले हैं। जिस Hanuman Bajrang Baan PDF का पाठ करके आप अपने जीवन की समस्त समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं।
Hanuman Bajrang Baan PDF Download लिंक पोस्ट में नीचे दिया गया है। जिन पर क्लिक कर आप Hanuman Bajrang Baan PDF आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।
हनुमान बजरंग बाण पीडीएफ : Hanuman Bajrang Baan PDF
भगवान हनुमान जी को संकटमोचक के नाम से भी जाना जाता है। हनुमान जी भगवान राम जी के सबसे बड़े भक्त हैं। हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए सनातन धर्म में हनुमान बजरंग बाण का बहुत ही विशेष महत्त्व बताया गया है। हनुमान बजरंग बाण की रचना महाकवि तुलसीदास जी ने की थी।
हनुमान चालीसा और हनुमान बजरंग बाण दोनों का पाठ करने से एक ही फल की प्राप्ति होती है। दोनों का पाठ सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा के साथ करने से घर में सुख – शांति और धन – समृद्धि आती है तथा भूत और बुरी शक्तियाँ भी दूर भागती हैं। इसका पाठ करने से साधक के जीवन के सभी भय, शत्रु, रोग आदि सभी समस्याएँ दूर हो जाती हैं और जीवन में सुख की प्राप्ति है।
हनुमान बजरंग बाण पाठ करने की विधि : Method of reciting Hanuman Bajrang Baan
हनुमान बजरंग बाण पाठ करने के लिए निम्नलिखित विधि का अनुसरण करें:-
- हनुमान बजरंग बाण पाठ का प्रारम्भ मंगलवार से करना चाहिए।
- सबसे पहले मंगलवार वाले दिन प्रातः सूर्योदय से पूर्व ही उठ जाएं और स्नानादि कार्य कर लेने के पश्चात साफ – सुथरे वस्त्र पहन लें।
- अब पूजा स्थल पर हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना करें।
- अब सबसे पहले भगवान गणेश जी की स्तुति करें तथा फिर उसके बाद भगवान श्री राम और माता सीता जी का ध्यान करें।
- इसके बाद हनुमान जी को प्रणाम करके उनका ध्यान करते हुए अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने का अग्राह करते हुए हनुमान बजरंग बाण पाठ करने का संकल्प लें।
- हनुमान जी को फूल अर्पित कर उनके समक्ष धूप एवं दीप जलाएं।
- अब कुश से बने आसन पर बैठ जाएं। हनुमान जी को फूल अर्पित कर उनके सामने धूप, दीप जलाकर हनुमान बजरंग बाण पाठ का आरंभ करें।
- हनुमान बजरंग बाण पाठ पूर्ण हो जाने के बाद भगवान राम जी का स्मरण करते हुए उनके भजन – कीर्तन करें।
- अंत में प्रसाद के रूप में हनुमान जी को चूरमा, दूध और अन्य मौसमी फल आदि का भोग लगाएं।
हनुमान बजरंग बाण पाठ के नियम : Hanuman Bajrang Baan Recitation Rules
Hanuman Bajrang Baan पाठ करने के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण नियम निम्नलिखित हैं :-
- आपने जितनी बार हनुमान बजरंग बाण पाठ करने का संकल्प किया है, आपको उतनी ही बार रुद्राक्ष माला के साथ पाठ करना चाहिए। यदि आप गिनती याद रख सकते हैं तो आप रुद्राक्ष माला के बिना भी पाठ कर सकते हैं।
- हनुमान बजरंग बाण पाठ करते समय शब्दों का उच्चारण साफ और स्पष्ट रूप से करना चाहिए।
- किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए कम से कम 41 दिनों तक हनुमान बजरंग बाण पाठ नियमपूर्वक करें।
- हनुमान बजरंग बाण पाठ के दौरान लाल रंग के कपड़े धारण करना अधिक शुभ और लाभकारी होता है।
- हनुमान बजरंग बाण पाठ के दिनों में ब्रह्मचर्य का पूर्णता पालन करें और मांस-मछली आदि चीजों का सेवन बिल्कुल भी न करें।
हनुमान बजरंग बाण पाठ लिखित हिंदी में : Hanuman Bajrang Baan in Hindi
|| हनुमान बजरंग बाण Hanuman Bajrang Baan ||
दोहा
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।
चौपाई
जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी।।
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै।।
जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परम पद लीन्हा।।
बाग उजारि सिन्धु मंह बोरा। अति आतुर यम कातर तोरा।।
अक्षय कुमार को मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा।।
लाह समान लंक जरि गई। जै जै धुनि सुर पुर में भई।।
अब विलंब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु प्रभु अन्तर्यामी।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होई दुख करहु निपाता।।
जै गिरधर जै जै सुख सागर। सुर समूह समरथ भट नागर।।
ॐ हनु-हनु-हनु हनुमंत हठीले। वैरहिं मारू बज्र सम कीलै।।
गदा बज्र तै बैरिहीं मारौ। महाराज निज दास उबारों।।
सुनि हंकार हुंकार दै धावो। बज्र गदा हनि विलम्ब न लावो।।
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुँ हुँ हुँ हनु अरि उर शीसा।।
सत्य होहु हरि सत्य पाय कै। राम दुत धरू मारू धाई कै।।
जै हनुमन्त अनन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत है दास तुम्हारा।।
वन उपवन जल-थल गृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।
पाँय परौं कर जोरि मनावौं। अपने काज लागि गुण गावौं।।
जै अंजनी कुमार बलवन्ता। शंकर स्वयं वीर हनुमंता।।
बदन कराल दनुज कुल घालक। भूत पिशाच प्रेत उर शालक।।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बैताल वीर मारी मर।।
इन्हहिं मारू, तोंहि शमथ रामकी। राखु नाथ मर्याद नाम की।।
जनक सुता पति दास कहाओ। ताकी शपथ विलम्ब न लाओ।।
जय जय जय ध्वनि होत अकाशा। सुमिरत होत सुसह दुःख नाशा।।
उठु-उठु चल तोहि राम दुहाई। पाँय परौं कर जोरि मनाई।।
ॐ चं चं चं चं चपल चलन्ता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनु हनुमंता।।
ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल दल।।
अपने जन को कस न उबारौ। सुमिरत होत आनन्द हमारौ।।
ताते विनती करौं पुकारी। हरहु सकल दुःख विपति हमारी।।
ऐसौ बल प्रभाव प्रभु तोरा। कस न हरहु दुःख संकट मोरा।।
हे बजरंग, बाण सम धावौ। मेटि सकल दुःख दरस दिखावौ।।
हे कपिराज काज कब ऐहौ। अवसर चूकि अन्त पछतैहौ।।
जन की लाज जात ऐहि बारा। धावहु हे कपि पवन कुमारा।।
जयति जयति जै जै हनुमाना। जयति जयति गुण ज्ञान निधाना।।
जयति जयति जै जै कपिराई। जयति जयति जै जै सुखदाई।।
जयति जयति जै राम पियारे। जयति जयति जै सिया दुलारे।।
जयति जयति मुद मंगलदाता। जयति जयति त्रिभुवन विख्याता।।
ऐहि प्रकार गावत गुण शेषा। पावत पार नहीं लवलेषा।।
राम रूप सर्वत्र समाना। देखत रहत सदा हर्षाना।।
विधि शारदा सहित दिनराती। गावत कपि के गुन बहु भाँति।।
तुम सम नहीं जगत बलवाना। करि विचार देखउं विधि नाना।।
यह जिय जानि शरण तब आई। ताते विनय करौं चित लाई।।
सुनि कपि आरत वचन हमारे। मेटहु सकल दुःख भ्रम भारे।।
एहि प्रकार विनती कपि केरी। जो जन करै लहै सुख ढेरी।।
याके पढ़त वीर हनुमाना। धावत बाण तुल्य बनवाना।।
मेटत आए दुःख क्षण माहिं। दै दर्शन रघुपति ढिग जाहीं।।
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।।
डीठ, मूठ, टोनादिक नासै। परकृत यंत्र मंत्र नहीं त्रासे।।
भैरवादि सुर करै मिताई। आयुस मानि करै सेवकाई।।
प्रण कर पाठ करें मन लाई। अल्प-मृत्यु ग्रह दोष नसाई।।
आवृत ग्यारह प्रतिदिन जापै। ताकी छाँह काल नहिं चापै।।
दै गूगुल की धूप हमेशा। करै पाठ तन मिटै कलेषा।।
यह बजरंग बाण जेहि मारे। ताहि कहौ फिर कौन उबारे।।
शत्रु समूह मिटै सब आपै। देखत ताहि सुरासुर काँपै।।
तेज प्रताप बुद्धि अधिकाई। रहै सदा कपिराज सहाई।।
दोहा
प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै। सदा धरैं उर ध्यान।।
तेहि के कारज तुरत ही, सिद्ध करैं हनुमान।।
हनुमान बजरंग बाण पीडीएफ डाउनलोड फ्री : Hanuman Bajrang Baan PDF Download Free
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पुस्तक का नाम / Name of Book |
हनुमान बजरंग बाण पीडीएफ / Hanuman Bajrang Baan PDF |
पुस्तक के लेखक / Author of Book |
महाकवि तुलसीदास / Mahakavi Tulsidas |
पुस्तक की भाषा / Language of Book |
हिंदी / Hindi |
फाइल प्रारूप / File Format |
पीडीएफ / PDF |
पुस्तक का आकार / Size of E-book |
1 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ / Total pages in E-book |
5 पृष्ठ |
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FAQs : Hanuman Bajrang Baan PDF Frequently Asked Questions
Q : बजरंग बाण के लेखक कौन है?
Ans : हनुमान बजरंग बाण के लेखक महाकवि तुलसीदास जी हैं। इसका पाठ करने से साधक के जीवन के सभी भय, शत्रु, रोग आदि सभी समस्याएँ दूर हो जाती हैं और जीवन में सुख की प्राप्ति है।
Q : हनुमान चालीसा और बजरंग बाण में क्या अंतर है?
Ans : हनुमान चालीसा और हनुमान बजरंग बाण दोनों का पाठ करने से एक ही फल की प्राप्ति होती है। दोनों का पाठ सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा के साथ करने से घर में सुख – शांति और धन – समृद्धि आती है तथा भूत और बुरी शक्तियाँ भी दूर भागती हैं।
Q : बजरंग बाण कब नहीं करना चाहिए?
Ans : किसी भी व्यक्ति का बुरा करने की इच्छा के साथ हनुमान बजरंग बाण पाठ नहीं करना चाहिए और न ही किसी अनैतिक और बुरे कार्य को पूर्ण करने के लिए हनुमान बजरंग बाण पाठ नहीं करना चाहिए।