Laxmi Aarti PDF Download Free | लक्ष्मी जी की आरती हिंदी में PDF

नमस्कार दोस्तों ! अपनी आज की इस पोस्ट में आपके लिए हम लक्ष्मी आरती पीडीएफ (Laxmi Aarti PDF) लेकर आए हैं। भगवान विष्णु जी की पत्नी माता लक्ष्मी जी हिंदू धर्म में धन और वैभव की देवी के रूप में जानी जाती हैं। माता लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन पूजा करने के साथ-साथ लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti) भी अवश्य ही करनी चाहिए, इससे लक्ष्मी जी अत्यधिक और शीघ्र ही प्रसन्न हो जाती हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं। लक्ष्मी जी की आरती करने से मनुष्य के सभी दुःख-दर्द मिट जाते हैं, मनुष्य को कभी धन-संपत्ति की कमी नहीं होती है तथा मनुष्य एक समृद्ध और खुशाल जीवन व्यतीत करता है।

आपको लक्ष्मी आरती पीडीएफ (Laxmi Aarti PDF) का डाउनलोड लिंक पोस्ट में आगे दिया गया है, जहां से आप लक्ष्मी आरती पीडीएफ (Laxmi Aarti PDF) को मात्र एक क्लिक में आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं। साथ ही पोस्ट में लक्ष्मी जी की आरती लिखित रूप में भी दी गई है जिसे आप पढ़ सकते हैं तथा लक्ष्मी जी की आरती का महत्त्व, पूजा करने की विधि, पूजा करते समय ध्यान रखने योग्य बातें और लक्ष्मी जी की आरती से होने वाले लाभों के बारे में भी बताया गया है।

लक्ष्मी जी की आरती का महत्त्व (Importance of Laxmi ji’s aarti)

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हिन्दू धर्म में मां लक्ष्मी जी धन और वैभव की देवी के रूप में विख्यात हैं। माता लक्ष्मी जी “श्री” नाम से भी जानी जाती हैं। इनकी पूजा करने से व्यक्ति को धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है। देवी लक्ष्मी जी भगवान विष्णु जी की पत्नी हैं। मां लक्ष्मी जी, माता पार्वती जी और माता सरस्वती जी के साथ त्रिदेवियों मे से एक हैं। दीपावली के त्योहार पर मां लक्ष्मी जी की भगवान गणेश जी के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। मां लक्ष्मी जी की पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करने से व्यक्ति को धन, सम्पदा, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

मां लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन पूजा करने के साथ-साथ लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti) का पाठ अवश्य ही करना चाहिए क्योंकि लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti) करने से वह अत्यधिक और शीघ्र ही प्रसन्न हो जाती हैं और आपको अपना आशीर्वाद देती हैं। लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti) करने से व्यक्ति के सारे दुःख-दर्द मिट जाते हैं, व्यक्ति को कभी धन-संपत्ति की कमी नहीं होती है तथा वह एक समृद्ध और खुशाल जीवन व्यतीत करता है।

लक्ष्मी जी की पूजा वैभव लक्ष्मी व्रत, लक्ष्मी जयंती (फाल्गुन पूर्णिमा), कोजागर पूर्णिमा, लक्ष्मी पंचमी (चैत्र शुक्ल पंचमी) और वरलक्ष्मी व्रत के साथ-साथ अन्य कई त्योहारों पर भी की जाती है। किंतु दीपावली पर मां लक्ष्मी जी की पूजा खासतौर पर की जाती है। लक्ष्मी जी की पूजा करने के लिए गुरुवार और शुक्रवार का दिन बहुत ही उत्तम और शुभ होता है। इस दिन पूजा करने से दोगुना फल प्राप्त होता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, स्वयं लक्ष्मी जी ने कहा है कि भगवान गणेश जी पूजा किए बिना लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त नहीं होगा। इसलिए सदैव लक्ष्मी जी की पूजा भगवान गणेश जी और माता सरस्वती जी के साथ ही की जाती है।

लक्ष्मी जी की पूजा करने की विधि (Method of Worshiping Goddess Laxmi)

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लक्ष्मी जी की पूजा करने की विधि निम्नलिखित है। इस विधि को ध्यानपूर्वक पढ़ें और उसका अनुपालन करें।

  • लक्ष्मी जी की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नानादि आदि कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें। शुक्रवार के दिन लाल रंग पहनना शुभ होता है, इसलिए इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनें।
  • इसके बाद पूजा की सामग्री, अपने ऊपर और आसन पर जल का 3 बार छिड़काव कर सब शुद्ध कर लें।
  • अब एक थाल लेकर उसमें कमल का फूल, चावल के कुछ दाने, थोड़ा सिंदूर और केशर रख लें।
  • इसके बाद पूजा की थाल में रूई से बनी घी की 1, 5 9, 11 या 21 बत्ती जलाकर रखें। चाहें तो आप कपूर का प्रयोग भी कर सकते हैं।
  • अब माता लक्ष्मी जी की तस्वीर या मूर्ति के समक्ष खड़े होकर पूजा की थाली को माता लक्ष्मी जी के चारों ओर घुमाते हुए लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti) गाएं। लक्ष्मी जी से पूर्व भगवान गणेश जी की पूजा अवश्य करें। आरती करने से पूर्व निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें –

या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मी: 

पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धि:।

श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा 

तां त्वां नता: स्म परिपालय देवि विश्वम्॥

अर्थ :- जो पुण्यात्माओं के घरों में स्वयं ही लक्ष्मीरूप से, पापियों के यहाँ दरिद्रतारूप से, शुद्ध अन्त:करणवाले पुरुषों के हृदय में बुद्धिरूप से, सत्पुरुषों में श्रद्धारूप से तथा कुलीन मनुष्य में लज्जारूप से निवास करती हैं, उन महालक्ष्मी को हम नमस्कार करते हैं। देवि! आप सम्पूर्ण विश्व का पालन कीजिये।

  • लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti) हो जाने के बाद कमल का फूल, चावल के दाने, सिंदूर, केशर, लाल बिंदी, लाल चुनरी और लाल चूड़ियां मां लक्ष्मी जी को अर्पित करें।
  • अंत में लक्ष्मी जी को खीर का भोग लगाएं और फिर प्रसाद का वितरण करें।

लक्ष्मी जी की आरती करते समय ध्यान रखने योग्य बातें (Things To Keep In Mind)

लक्ष्मी जी की पूजा करते समय लक्ष्मी जी की आरती अवश्य करनी चाहिए। लक्ष्मी जी की आरती करते समय निम्नलिखित बातों का विशेष रूप से ध्यान रखें :-

  • लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti) करने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।
  • शुक्रवार के दिन लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए, इस दिन लाल रंग पहनना शुभ मानते हैं।
  • लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti) करते समय तेल की बत्ती का प्रयोग करने से बचाव करते हुए रूई से बनी हुई घी की बत्ती का ही प्रयोग करना चाहिए।
  • पूजा की थाल में रूई से बनी घी की 1, 5 9, 11 या 21 बत्ती होनी चाहिए।
  • लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti) का पाठ बीच में अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए।
  • लक्ष्मी जी की आरती की पंक्तियों को उच्च राग के साथ मध्यम स्वर और मध्यम वेग में गाना चाहिए।
  • लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti) करते समय शब्दों का सही उच्चारण करना चाहिए।

लक्ष्मी जी की आरती से होने वाले लाभ (Benefits of Laxmi Ji’s Aarti)

लक्ष्मी जी की आरती करने से अनेक लाभ मिलते हैं। कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं :-

  • लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti) का पाठ करने से मां लक्ष्मी जी अत्यंत प्रसन्न होती हैं और व्यक्ति को विशेष आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
  • लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti) का पाठ नियमित रूप से करने पर घर में सदा सुख-शांति बनी रहती है तथा परिजनों में सदा समझदारी और समानता का बनी रहती है।
  • लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti) का पाठ करने से धन हानि की समस्या दूर हो जाती है और जीवन में कभी भी धन-संपत्ति की कमी नहीं होती है।
  • लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti) का पाठ करने से दाम्पत्य जीवन में सदैव सुखमय रहता है।
  • इसका पाठ करने से व्यक्ति के कारोबार में बढ़ोत्तरी होती है और जीवन में धन के साथ-साथ वैभव की भी प्राप्ति होती है।
  • लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti) करने से व्यक्ति के मन को शांति मिलती है और व्यक्ति के आत्मबल में भी वृद्धि होती है।
  • इसका पाठ करने से व्यक्ति के शरीर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह में वृद्धि होती है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
  • लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti) का पाठ करने से व्यक्ति का अन्तःकरण शुद्ध होता है और उसे आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्त होती है।

लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti)

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ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।

सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता॥

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता॥

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता॥

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।

सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता॥

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता॥

शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता।

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता॥

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।

उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता॥

लक्ष्मी जी की आरती हिंदी में पीडीएफ (Laxmi Aarti PDF Download Free)

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पीडीएफ का नाम / Name of PDF

लक्ष्मी जी की आरती / Laxmi Ji Ki Aarti

पीडीएफ की भाषा / Language of PDF

हिंदी / Hindi

फाइल प्रारूप / File Format

पीडीएफ / PDF

पीडीएफ का आकार / Size of PDF

632 KB

पीडीएफ में कुल पृष्ठ / Total Pages in PDF

5 पृष्ठ

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निष्कर्ष : मां लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए पूजा करते समय लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti) का पाठ अवश्य ही करना चाहिए। इसका पाठ करने से व्यक्ति को विशेष फल की प्राप्ति होती है। लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti) का पाठ करते समय कुछ बातों का विशेष रूप से ध्यान भी रखना चाहिए।

आशा करता हूं कि आपको पोस्ट काफी पसंद आई होगी और आपके लिए फायदेमंद भी रही होगी। इसलिए इस पोस्ट को अपने दोस्तों और अन्य सोशल नेटवर्क पर भी जरूर शेयर करें। यदि लक्ष्मी आरती पीडीएफ (Laxmi Aarti PDF) का डाउनलोड बटन ठीक से काम नहीं कर रहा है या फिर आपको लक्ष्मी आरती पीडीएफ (Laxmi Aarti PDF) डाउनलोड करने में कोई और परेशानी आ रही है तो आप कमेंट द्वारा हमें बता सकते हैं और साथ ही अगर आपको अन्य कोई और पीडीएफ भी चाहिए हो तो भी आप कमेंट कर या फिर कांटेक्ट पेज के द्वारा हमें बता सकते हैं।

यह भी पढ़ें :-

FAQs : Frequently Asked Questions

Q : लक्ष्मी जी की पूजा करने से क्या फायदा?

Ans : मां लक्ष्मी जी की पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करने से व्यक्ति को धन, सम्पदा, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti) करने से व्यक्ति के सारे दुःख-दर्द मिट जाते हैं, व्यक्ति को कभी धन-संपत्ति की कमी नहीं होती है तथा वह एक समृद्ध और खुशाल जीवन व्यतीत करता है।

Q : घर पर रोजाना लक्ष्मी पूजा कैसे करें?

Ans : लक्ष्मी जी की पूजा करने की विधि निम्नलिखित है :-

  • सबसे पहले स्नानादि आदि कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें। इसके बाद पूजा की सामग्री, अपने ऊपर और आसन पर जल का 3 बार छिड़काव कर सब शुद्ध कर लें।
  • अब एक थाल में कमल का फूल, चावल के कुछ दाने, थोड़ा सिंदूर और केशर रख लें।
  • इसके बाद पूजा की थाल में रूई से बनी घी की 1, 5 9, 11 या 21 बत्ती जलाकर जलाएं।
  • अब माता लक्ष्मी जी की तस्वीर या मूर्ति के समक्ष खड़े होकर पूजा की थाली को माता लक्ष्मी जी के चारों ओर घुमाते हुए लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti) गाएं। लक्ष्मी जी से पूर्व भगवान गणेश जी की पूजा अवश्य करें।
  • आरती हो जाने के बाद कमल का फूल, चावल के दाने, सिंदूर, केशर, लाल बिंदी, लाल चुनरी और लाल चूड़ियां मां लक्ष्मी जी को अर्पित करें।
  • अंत में लक्ष्मी जी को खीर का भोग लगाएं और फिर प्रसाद का वितरण करें।

Q : लक्ष्मी जी को कौन सा फूल चढ़ाया जाता है?

Ans : कमल के पुष्प पर विराजमान मां लक्ष्मी जी को कमल का पुष्प अति प्रिय है। अतः पूजा करते समय मां लक्ष्मी जी को कमल के पुष्प अर्पित करने चाहिए।

Q : लक्ष्मी जी को कौन सा फल पसंद है?

Ans : नारियल मां लक्ष्मी जी का अति प्रिय फल है। इस कारण ही नारियल को श्रीफल के नाम से भी जाना जाता है। अत: पूजा करते समय नारियल का लड्डू, कच्चा नारियल और जल से भरा नारियल अर्पित करने से मां लक्ष्मी जी अत्यंत प्रसन्न होती हैं।

Q : लक्ष्मी का पौधा कौन सा है?

Ans : वास्तु शास्त्र के अनुसार, मां लक्ष्मी जी को क्रासुला का पौधा अति प्रिय है। इस पौधे को जेड प्लांट भी कहा जाता है। मान्यता है कि जिस घर में क्रासुला का पौधा होता है उस घर में धन-वैभव की देवी मां लक्ष्मी जी का स्थाई निवास होता है

Q : लक्ष्मी जी का भोग क्या है?

Ans : मां लक्ष्मी जी को शुक्रवार के दिन दूध से बनी मिठाई का भोग लगाया जाता है जैसे : खीर, बर्फी, मखाने की खीर आदि। इससे मां लक्ष्मी जी अत्यंत और शीघ्र ही प्रसन्न हो जाती हैं।

Q : लक्ष्मी का दूसरा नाम क्या है?

Ans : धन और संपत्ति की देवी मां लक्ष्‍मी जी को शिरसा के नाम से भी जाना जाता है।

Q : लक्ष्मी क्यों रूठ जाती है?

Ans : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां लक्ष्मी जी अन्न का अपमान करने से नाराज हो जाती हैं। अन्न की बर्बादी करना या भोजन के बीच में उठना अन्न का अपमान होता है और जिस घर में अन्न का अपमान होता है मां लक्ष्मी जी उस घर में एक क्षण के लिए भी नहीं रुकती हैं।

Q : लक्ष्मी जी का भाई कौन है?

Ans : शास्त्रों के अनुसार, मां लक्ष्मी जी का छोटा भाई शंख को कहा गया है। मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान शंख की उत्पत्ति हुई थी। समुद्र मंथन के दौरान जो 14 रत्न निकले थे, शंख उन 14 रत्नों ने से एक है। इस कारण ही मां लक्ष्मी जी और दक्षिणावर्ती शंख दोनों को भाई-बहन माना गया है।

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